आलस्य, लापरवाही, दूसरे में दोष देखना, परनिन्दा सुनना- ये सब गड़बड़ी जो हम करते हैं, इसको बन्द करके कमाने- कमाने की बात सोचो।
सावधान होकर के कमाई पर ध्यान दो। गँवाना न पड़े। बचे रहो। कम से कम खर्चा करो तब लखपति, करोड़पति बनोगे। कम से कम संसार में व्यवहार करो और गलत व्यवहार तो होने ही मत दो। अहंकार बढ़ेगा, दीनता छिन जायेगी, भक्ति समाप्त हो जायेगी, मन गन्दा हो जायेगा। क्या करेगा गुरु? भगवान् अन्दर बैठे हैं। क्या करेंगे? जब हम ही नहीं सँभलेंगे तो कोई क्या करेगा? अतः आप लोगों को स्वयं समझ लेना चाहिये हमारा उत्थान-पतन कहाँ है? और आगे के लिये भी सावधान रहना चाहिये। तुम लोग समझदार हो आशा करता हूँ मुझे और दुःखी नहीं करोगे।
जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज!
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