१. विश्व के समस्त शास्त्रों - वेदों का सम्पूर्ण ज्ञान केवल भगवान को ही हो सकता है, अन्य किसी को नहीं.................
२. स्वयं ब्रह्मा जी को भी यह ज्ञान स्वयं भगवान ने ही कराया.............
३. धरती पर भी स्वयं भगवान के अवतार वेद - व्यास ने ही वेदों शास्त्रों को लिपिबद्ध किया.............
४. आज से लगभग ६०० वर्ष पूर्व पृथ्वी पर केवल एक विभूति थी जिनको बिना पढ़े हुए विश्व के समस्त शास्त्र वेद कंठस्थ थे और वह थे श्रीचैतन्य महाप्रभु..............
५. श्रीमहाप्रभु ने २४ वर्ष की अवस्था में सन्यास लेने के पश्चात्त २४ वर्ष तक जगन्नाथ पुरी में रहकर श्रीराधाकृष्ण भक्ति का प्रचार किया.................
(इस अवधि में उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण भी किया)
६. इसके बाद भी जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने उनको २४ वर्ष तक पाखंडी घोषित करके मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया................
७. ४८ वर्ष की अवस्था में जब श्रीमहाप्रभु अचानक सबके सामने जगन्नाथ जी की प्रतिमा में विलीन हो गए तो उन्ही पुजारियों ने पश्चाताप में अपने सिरों को मंदिर के पत्थरों पर पटक पटक कर फोड़ डाला...............
८. लगभग हम सभी के पूर्वज उस समय जगन्नाथ जी तक दौड़ कर गए थे और सिर पटक कर जगन्नाथ जी से क्षमा मांगी थी कि आप आये और हम आपको पहचान नहीं सके इसलिए आपसे वंचित रह गए............
९. आज की तिथि में पृथ्वी पर एकमात्र विभूति हैं जिनको ९० वर्ष की अवस्था में भी बिना पढ़े ही विश्व के समस्त शास्त्र वेद कंठस्थ हैं और वह हैं कलियुग के पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु..............
१०. श्री चैतन्य महाप्रभु की तरह ही श्री कृपालु महाप्रभु के श्री चरणों को पखारने वाला साधारण जल भी गंगाजल बन जाता है और कभी ख़राब नहीं होता.............
११. श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपने धाम जाने के पूर्व घोषणा कर दी थी कि मै ५०० वर्ष के अन्दर पुनः अवतार लेकर आऊंगा और उसी अवधि में श्री कृपालु महाप्रभु का अवतरण हुआ है..................
१२. श्री कृपालु महाप्रभु को एक बार भी सुन लेने वाले लोग यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि उनके जैसा कोई दूसरा हो ही नहीं सकता .................
जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु कि जय ।।
जय जय श्री राधे ।
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