अहा! आज हमने ऐसा किया, गुरु की आज्ञा का पालन किया। ये अहंकार न हो, इसके लिए कहा जा रहा है,अर्पित कर दो।
जो कुछ किया, महाराज! आपकी कृपा से किया, वरना मैं एक बार ‘राधे’ न बोलता। आप जितने बैठे हैं, सब लोग अकेले में सोचें, अगर ये 'कृपालु' न मिला होता, तो हम लोग न जानते, कौन हैं राधे, कौन है श्याम, और क्या है भक्ति और क्या है ज्ञान और क्या होता है दान।
बस, मम्मी-डैडी और बीबी-पति, बच्चे, नाती-पोते और मर गए, बस। यही करते रहते!
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
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