!! मैं हूँ मनगढ़ ग्राम !!
!! मैं हूँ मनगढ़ धाम !!
मनगढ़ धाम तुझे प्रणाम
मनगढ़ ग्राम- मेरा जगदगुरु तो सारे शास्त्र वेद बोलता है | सब श्रुतियाँ, पुराण, रामायण, गीता, महाभारत सबके श्लोक जगदगुरु के स्वर में यहाँ का वायुमंडल बन चुके हैं | तब ही तो यहाँ कि वायु का स्पर्श आनंद का स्रोत हो गया है |
मैं अक्सर देखता हूँ कर्मी, ज्ञानी,भक्त, यहाँ आते हैं, मेरी धूलि मस्तक पर धारण करते हैं और पोटली बाँध कर ले जाते है, मेरे पूछने पर उत्तर देते हैं - प्यारे मनगढ़ ग्राम ! तुम भी अपनी महिमा का स्वयं गुणगान नहीं कर पाओगे, यहीं जगदगुरु खेला है, इसी रज में पला है बड़ा हुआ है.........।
जा मनगढ़ को धूल कण श्री राधारति दैन,
जहँ चहुँ दिसि सो सुनि परै राधे राधे बैन।
👏👏मनगढ़ धाम तुझे प्रणाम। 👏👏
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