मनगढ़ धाम तुझे प्रणाम



       !! मैं हूँ मनगढ़ ग्राम !!
          !! मैं हूँ मनगढ़ धाम !!
           
      मनगढ़ धाम तुझे प्रणाम 

           
मैं इसकी महिमा का क्या वर्णन करूँ |  धन्यातिधन्य है ये मनगढ़ ग्राम, यह धरती, जहाँ अहर्निश भगवन्नाम की मधुर ध्वनि गूँजती रहती है | राधे राधे नाम मेरे परमाणु परमाणु में व्याप्त हो गया है | समस्त तीर्थ मेरे अन्दर आकर समा गये हैं |

मनगढ़ ग्राम-  मेरा जगदगुरु तो सारे शास्त्र वेद बोलता है | सब श्रुतियाँ, पुराण, रामायण, गीता, महाभारत सबके श्लोक जगदगुरु के स्वर में यहाँ का वायुमंडल बन चुके हैं | तब ही तो यहाँ कि वायु का स्पर्श आनंद का स्रोत हो गया है |

मैं अक्सर देखता हूँ कर्मी, ज्ञानी,भक्त, यहाँ आते हैं, मेरी धूलि मस्तक पर धारण करते हैं और पोटली बाँध कर ले जाते है, मेरे पूछने पर उत्तर देते हैं - प्यारे मनगढ़ ग्राम ! तुम भी अपनी महिमा का स्वयं गुणगान नहीं कर पाओगे, यहीं जगदगुरु खेला है, इसी रज में पला है बड़ा हुआ है.........।

जा मनगढ़ को धूल कण श्री राधारति दैन,
जहँ चहुँ दिसि सो सुनि परै राधे राधे बैन।

👏👏मनगढ़ धाम तुझे प्रणाम। 👏👏

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