जब अनंत जीवों को वो अपना चुकें हैं फिर शंका कैसी ? फिर मेरी बात का भी तो विश्वाश करना चाहिये । सच कह रहा हूँ कि बिल्कुल तुम्हारे पास खड़े होकर मुस्कराते हुए तुम्हारे प्यार को सदा देखते हैं । बताओ वह जीव कितना बड़ा भाग्यवान है जिसको श्यामसुन्दर सदा देखें ।
#* कृपालु अमृतं | विरह रस *#
#* श्री कृपालु जी महाराज *#
अरे! मैं तो तैयार बैठा हूँ प्रेम देने के लिए, कोई लेने वाला तो हो .......!❤❤❤❤
अनाधिकारी को भी अधिकारी मैं बना दूंगा , कोई बात तो माने मेरी......!👍👍👍👍👍
किसी को परवाह ही नहीं अपनी , तो मैं क्या कर लूँगा ?😟😟😟
क्षण क्षण अपना, साधना तथा सेवा में व्यतीत करो । आज का दिन फ़िर मिले ना मिले !! ⌚⌚⌚
दोबारा मानव देह फिर मिले ना मिले !! इस समय तो मानव देह भी मिला है और गुरु भी मिल गया है ।
फिर लापरवाही क्यों ?
इससे अच्छा अवसर फ़िर आसानी से नहीं मिलने वाला......।
बार - बार सोचो !!!
" तुम्हारा कृपालु "।
क्या आप कृपा करके उस प्रवचन का लिंक शेयर कर सकते हैं जिसमें महाराज जी ने ये सुंदर पंक्तियाँ कहीं हैं:
ReplyDeleteअरे! मैं तो तैयार बैठा हूँ प्रेम देने के लिए, कोई लेने वाला तो हो
अनाधिकारी को भी अधिकारी मैं बना दूंगा , कोई बात तो माने मेरी
किसी को परवाह ही नहीं अपनी , तो मैं क्या कर लूँगा ?
Ye pravchan mein Nahi hai balki Woh MAHARAJ JI ne General talk pe kahin Baar Kahan hai.
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