एक दिन श्याम सुंदर श्री राधा रानी की श्रृंगार कक्ष में गए और वहां एक पेटी जिसमें राधा रानी के सारे अलंकार आभूषण रखे थे उस को खोला एकांत ना मिलने के कारण बहुत दिनों से सोच रहे थे आज मौका मिला भंडार गृह में कोई नहीं था एकांत था
सबसे पहले श्यामसुंदर जी ने राधा रानी का हरिमोहन नामक कंठ हार निकाला और अपने हृदय से लगाया और सोचने लगे यह हार कितना सौभाग्य शाली है जो हमेशा प्रिया जी के हृदय के समीप रहता है हमेशा उनकी करुणामयी धड़कन को सुनता है उनकी हर धड़कन में श्याम श्याम नाम को प्रतिपल सुनता है कैसा अद्भुद सौभाग्य है इस हार का जो मेरी किशोरी जी के ह्रदय के समीप रहता है फिर शाम को अपनी अधरों से लगा कर और अपने नैनों से लगाकर रख दिया
फिर प्रिया जू की मांग की मोतियों की माला को अपने हृदय से लगाया और कहा मोतियों की माला हे मेरा जीवन है इसे प्रिया जी अपनी सिंदूर रेखा भरी मांग पर धारण करती हैं उसी से मेरा जीवन अस्तित्व है इसकी सौभाग्य की कैसे वंदना करो कैसे वंदना करूं अपने कपोलो से लगा कर भाव बिभोर हो गए नयन सजल हो गये प्रियतम के
फिर श्याम सुंदर ने प्रिया जी की नथ को अपने हाथों से उठाया और कहने लगे नथ की सौभाग्य की बात कैसे करूं यह नथ प्रेम रीति से प्रिया जी के कोमल कपोलो ( गालो) का अखंड सानिध्य प्राप्त् है कैसे प्रिया जी के कपोलो की कांति स्पर्श प्राप्त है
कैसे नथ की सुधरता का वर्णन करू
श्री प्रिया जू के नथ में प्रभाकरी नाम का मोती है यही मेरे जीबन का उजाला है
फिर श्यामसुंदर ने विपक्ष मद माँर्दिनी नामक राधा जी की अंगूठियों को अपने हृदय से लगा लिया और कहने लगे इन की अंगूठियों को पहनकर राधा रानी के हाथ सभी भक्तों को प्रेम और कृपा का दान करते हैं कैसा अनुपम सौभाग्य है अंगूठियों का जिन्हें प्रिया जू अपने वो कोमल हाथों में धारण करती हैं तो फिर श्याम सुनाने अंगूठियों को अपनी उंगलियों में पहन लिया
इन अंगूठियों का केसा अनुपन सोभाग्य है जो प्रिया जी की करुणामयी कृपा मयी कोमल हाथो का सानिंध्य प्राप्त है
फिर श्याम सुंदर श्री राधा रानी के नूपुर पायलों को अपने हाथों से उठाया और अपने हृदय से लगा लिया श्याम सुंदर भाव विभोर हो गए था उनकी नैन सजल हो गए नैनों से अश्रु धारा बह ने लगी श्यामसुंदर ने प्रिया जी के नूपुरों को अपने अधरों से लगाया और उन्हें चूमा और कहने लगे कैसे सराहना करूं इन नूपुरों की परम करुणा में श्री राधा रानी अपने श्री चरणों में धारण करती हैं प्रियां के श्री चरणो मेरी जीवन धन हे केसा सौभाग्य हे इन नूपुरों का जो जिन्हें प्रिय जू श्री चरणों का सानिंध्य मिला हुआ है
🌺🌺 प्रिया जी के बिछिया और नुपर को देख कर कहने लगे प्रिया जी चाहे कोई योग हो या आयोग हो हर किसी को अपने उन्मुक्त भाव से आश्रय देती हैं राधा रानी की हाथ में अंगूठियां इस बात की साक्षी हैं की राधा रानी की कर कमलों में जिनको जो वरदान दिया है वह सदा अमोघ है और यह राधा रानी के कुंडल इस बात के साक्षी है की प्रिया जी सदा सब की सुनती हैं कोई भी सखी हो यह मंजरी हो ऐसी कोई नहीं जिसके कथन पर तो प्रिया ने ध्यान ना दिया हो पिया जू हर अपने भक्तों की बात का ध्यान देती हैं यह कुंडल इस बात के साक्षी है की प्रिया जी अपने भक्तों की बातें कितनी ध्यान से सुनती हैं
प्रिया जो की नथ इस बात की साक्षी है कि वह अपने हर भक्त की जीवन की सांसो का संचार करती है जीवन प्राण हैं अपने भक्तों पर प्रिया जी का हार इस बात का साक्षी है की प्रिया जी अपने भक्तों को अपने हृदय में स्थान देती हैं🌺🌹🌺🙏
सभी आभूषणों को श्यामसुंदर ने अपने हृदय से लगाया श्याम सुंदर के नयन सजल हो गए और उनके नैनों से अश्रुधारा बहने लगी फिर श्यामसुंदर ने एक-एक करके सारे अलंकार पहने अपनी उंगलियों में प्रिया जू की अंगूठी पहनी अपने पैरों में प्रिया जी की पायल पहनी अपने कानों में प्रिया जू का कुंडल पहना अपने गले में प्रिया जू का कंठहार पहना अपने कमर में प्रिया जू की करधनी पहनी सभी अलंकारों को एक-एक करके धारण किया और भावुक होकर इस आनंद का अनुमोदन करने लगे जो प्रिया जी अलंकारों को पहन कर आनंद पाती हैं
उसी समय प्रिया जी रति और रूप मंजिरी के साथ सृंगार कछ में आई और देखा एक श्याम सुंदर उनके के अलंकारों की अपने अंगों पर पहने हुए हैं श्यामसुंदर के इस छवि को देखकर प्रिया जी परम परमानंद पाया प्रिया जी पुलकित काय मान हो गई अपने प्रियतम का अद्भुत प्रेम अपने अलंकारों के प्रति देखकर कभी रुप मंजरी रतिमंजरी से कहने लगी कैसा अनुपम सौभाग्य है इन अलंकारों को जो आज श्यामसुंदर अपना प्रेम रस भर रहे हैं इन अलंकारों को जिससे प्रिया जी जब इन्हें धारण करें श्याम सुंदर की प्रेम से सराबोर हो जाएं ऐसे अलंकारों के सौभाग्य की जय हो जय हो ।
जय जय श्री राधे ।
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