ईश्वरोपासना रहित, केवल ब्रम्हचर्य रहने मात्र से मुक्ति होनी होती तो विश्व के सब नपुंसक तर गये होते । यदि संतान होने से मुक्ति होनी होती तो कुत्ते, बिल्ली, सुअर सबसे पहले तरते । यदि वानप्रस्थी या सन्यासी के व्याज मात्र से मुक्ति होनी होती तो शेर, चीते, भालू परम त्यागी बनवासी सर्वप्रथम तरते ............!!!!!!!!!!!!!
जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
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