भक्ति का एक बीज अपने मन में लगा लेने की ज़रूरत है।



 🔹गुरू एक तेज हे जिनके आते ही
     सारे सन्शय के अंधकार खतम हो
     जाते हे।
🔹गुरू वो मृदंग हे जिसके बजते ही
     अनाहद नाद सुनने शुरू हो जाते
     हे l
🔹गुरू वो ज्ञान हे जिसके मिलते ही
     पांचो शरीर एक हो जाते हे।
🔹गुरू वो दीक्षा हे जो सही मायने मे
     मिलती हे तो पार हो जाते हे।
🔹गुरू वो नदी हे जो निरंतर हमारे
     प्राण से बहती हे।
🔹गुरू वो सत चित आनंद हे जो हमे
     हमारी पहचान देता हे।
🔹गुरू वो बासुरी हे जिसके बजते ही
     अंग अंग थीरक ने लगता हे।
🔹गुरू वो अमृत हे जिसे पीके कोई
     कभी प्यासा नही।
🔹गुरू वो मृदन्ग हे जिसे बजाते ही
     सोहम नाद की झलक मिलती हे।
🔹गुरू वो कृपा हि हे जो सिर्फ कुछ
     सद शिष्यो को विशेष रूप मे
     मिलती हे l

🔹गुरू वो खजाना हे जो अनमोल हे।
🔹गुरू वो समाधि हे जो चिरकाल
     तक रहती हे।
🔹गुरू वो प्रसाद हे जिसके भाग्य में
  हो उसे कभी कुछ मांगने की
     ज़रूरत नहीं l

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