जो जिस भाव से जितनी मात्रा में शरणागत होता है बस मैं उसको उतनी ही मात्रा में अपनापन , प्यार , कृपा , स्प्रिचुअल पावर देता हूँ। पूरा चाहते हो तो पूरी शरणागति , अधूरा चाहते हो तो अधूरी शरणागति कर लो। बिल्कुल नहीं चाहते तो शरीर को पटकते जाओ, मन संसार में आसक्त रहे , ऐसा कर लो। तुम्हें जो फल चाहिये वैसा ही कर्म करो।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
अटैचमेन्ट जब गम्भीर हो जायेगा संसार में तो उतनी ही मेहनत पड़ेगी डिटैचमेन्ट में , फिर ईश्वर में लगाने में उतना ही लेबर होगा ।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज.
भुक्ति माँगें मूढ़ जन मिटै नहिं कामा।
मुक्ति माँगें महामूढ़ कहें ब्रज बामा।।
भावार्थः- जो लोग भगवान् से सांसारिक-भोग माँगते हैं, वे मूर्ख हैं, मुक्ति की कामना करने वाले तो और भी अधिक मूर्ख हैं, क्योंकि मुक्त हो जाने पर तो भगवत्प्रेम मिलने की सम्भावना भी नहीं रहेगी।
(श्यामा श्याम गीत)
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
सर्वाधिकार सुरक्षित:-राधा गोविन्द समिति
विष कीड़ा विष रस माँगे आठु यामा।
मन माँगे विषयन नहिं माँगे श्यामा।।
भावार्थः- जिस प्रकार विष का कीड़ा निरन्तर विष के रस में ही संतुष्ट रहता है, उसी प्रकार यह धूर्त मन भी निरन्तर विषयों के रस में ही आनंद का अनुभव करता है। यह श्री राधिका के नाम, रूप, लीला, गुणादि का गायन, स्मरण आदि कर सुखानुभूति नहीं करता।
(श्यामा श्याम गीत)
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
सर्वाधिकार सुरक्षित:-राधा गोविन्द समिति
भगवान् का भजन करते समय संसार को याद नहीं करना चाहिये और संसार का काम करते समय भगवान् को भूलना नहीं चाहिये।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज.
हरि-गुरु को मन में जितनी बार लाओगे उतनी ही मन की गंदगी शुद्ध होगी,और अगर गंदी बातें लाओगे तो मन और गंदा होगा।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
भगवान दूर नहीं है केवल उसको पाने की लगन में कमी है।"
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज के #श्रीमुख से:
#नींद जो है वो #तमोगुण है। #जाग्रत #अवस्था में हम #सत्वगुण में जा सकते हैं,#रजोगुण में भी जा सकते हैं। लेकिन नींद जो है वो प्योर(pure) तमोगुण है। बहुत ही #हानिकारक है। अगर #लिमिट से #अधिक #सोओ तो भी #शारीरिक #हानी होती है। आपके #शरीर के जो पार्ट्स हैं उनको खराब करेगा वो अधिक सोना भी। रेस्ट की भी लिमिट है। रेस्ट के बाद #व्यायाम #आवश्यक है। देखिये शरीर ऐसा बनाया गया है कि इसमें दोनों आवश्यक हैं। तुम्हें #संसार में कोई #जरूरी काम आ जाए,या कोई तुम्हारा #प्रिय मिले तब नींद नहीं आती। इसलिए कोई #फ़िज़िकल #रीज़न नहीं #कारण #केवल #मानसिक #वीकनेस है। #लापरवाही,#काम न होना,#नींद आने का #प्रमुख कारण है। हर #क्षण यही #सोचो की अगला क्षण मिले न मिले अतएव भगवदविषय में उधार न करो।
[#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाप्रभुकेश्रीमुख_से]
क्रोध आया कि सर्वनाश हुआ। 'बदतमीज़' कहने पर 'बदतमीज़' बन गए। आप इतने बड़े मूर्ख हैं कि एक 'मूर्ख' ने 'मूर्ख' कह कर आपको 'मूर्ख' बना दिया।
संसार में आपका मन 10-15 लोगों में लगा हुआ है । शेष समस्त संसार में आप बाहरी व्यवहार करते हैं । वहाँ न आपका राग होता है न द्वेष होता है। तो इन 10-15 लोगों से भी मन को हटाकर भगवान में लगा दो। इनसे भी बाहरी संसारी व्यवहार करो। Duty करो।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
दयामय! अब तो दया करो...!!!
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
अटैचमेन्ट जब गम्भीर हो जायेगा संसार में तो उतनी ही मेहनत पड़ेगी डिटैचमेन्ट में , फिर ईश्वर में लगाने में उतना ही लेबर होगा ।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज.
भुक्ति माँगें मूढ़ जन मिटै नहिं कामा।
मुक्ति माँगें महामूढ़ कहें ब्रज बामा।।
भावार्थः- जो लोग भगवान् से सांसारिक-भोग माँगते हैं, वे मूर्ख हैं, मुक्ति की कामना करने वाले तो और भी अधिक मूर्ख हैं, क्योंकि मुक्त हो जाने पर तो भगवत्प्रेम मिलने की सम्भावना भी नहीं रहेगी।
(श्यामा श्याम गीत)
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
सर्वाधिकार सुरक्षित:-राधा गोविन्द समिति
विष कीड़ा विष रस माँगे आठु यामा।
मन माँगे विषयन नहिं माँगे श्यामा।।
भावार्थः- जिस प्रकार विष का कीड़ा निरन्तर विष के रस में ही संतुष्ट रहता है, उसी प्रकार यह धूर्त मन भी निरन्तर विषयों के रस में ही आनंद का अनुभव करता है। यह श्री राधिका के नाम, रूप, लीला, गुणादि का गायन, स्मरण आदि कर सुखानुभूति नहीं करता।
(श्यामा श्याम गीत)
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
सर्वाधिकार सुरक्षित:-राधा गोविन्द समिति
भगवान् का भजन करते समय संसार को याद नहीं करना चाहिये और संसार का काम करते समय भगवान् को भूलना नहीं चाहिये।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज.
हरि-गुरु को मन में जितनी बार लाओगे उतनी ही मन की गंदगी शुद्ध होगी,और अगर गंदी बातें लाओगे तो मन और गंदा होगा।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
भगवान दूर नहीं है केवल उसको पाने की लगन में कमी है।"
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज के #श्रीमुख से:
#नींद जो है वो #तमोगुण है। #जाग्रत #अवस्था में हम #सत्वगुण में जा सकते हैं,#रजोगुण में भी जा सकते हैं। लेकिन नींद जो है वो प्योर(pure) तमोगुण है। बहुत ही #हानिकारक है। अगर #लिमिट से #अधिक #सोओ तो भी #शारीरिक #हानी होती है। आपके #शरीर के जो पार्ट्स हैं उनको खराब करेगा वो अधिक सोना भी। रेस्ट की भी लिमिट है। रेस्ट के बाद #व्यायाम #आवश्यक है। देखिये शरीर ऐसा बनाया गया है कि इसमें दोनों आवश्यक हैं। तुम्हें #संसार में कोई #जरूरी काम आ जाए,या कोई तुम्हारा #प्रिय मिले तब नींद नहीं आती। इसलिए कोई #फ़िज़िकल #रीज़न नहीं #कारण #केवल #मानसिक #वीकनेस है। #लापरवाही,#काम न होना,#नींद आने का #प्रमुख कारण है। हर #क्षण यही #सोचो की अगला क्षण मिले न मिले अतएव भगवदविषय में उधार न करो।
[#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाप्रभुकेश्रीमुख_से]
क्रोध आया कि सर्वनाश हुआ। 'बदतमीज़' कहने पर 'बदतमीज़' बन गए। आप इतने बड़े मूर्ख हैं कि एक 'मूर्ख' ने 'मूर्ख' कह कर आपको 'मूर्ख' बना दिया।
संसार में आपका मन 10-15 लोगों में लगा हुआ है । शेष समस्त संसार में आप बाहरी व्यवहार करते हैं । वहाँ न आपका राग होता है न द्वेष होता है। तो इन 10-15 लोगों से भी मन को हटाकर भगवान में लगा दो। इनसे भी बाहरी संसारी व्यवहार करो। Duty करो।
#जगद्गुरुश्रीकृपालुजीमहाराज।
दयामय! अब तो दया करो...!!!
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