क्या से क्या हो गया , मनगढ़ तेरे प्यार में
सोंचा क्या , क्या हुआ मनगढ़ तेरे प्यार में ।।
जितनी जरूरत हो शरीर के पालना के लिए उतना ही कमाओ , प्रारब्धबस अगर अधिक मिले तो दान कर दो ।
धन भक्ति मार्ग का सबसे बड़ी बाधा है , सूई के छेद से लाखों ऊंट गुजर सकता है लेकिन धनवान भगवान कि तरफ चले असंभव आदि आदि ।
पर आज मनगढ़ गांव वासी कि मनोकामना है मनगढ़ को टुरिस्ट प्लेस बना दिया जाए ताकि अधिक से अधिक सैलानी आवे , होटल रेस्टोरेंट खुले , फाईव स्टार, थ्री स्टार , टु स्टार होटल खुले , मनगढ़ कुंडा आदि कि जमीन कि कीमत बढ़े । विल्डर , कंस्ट्रक्टर का पौ बारह हो । मोटी कमाई हो । अधिक से अधिक धन कमाया जाए । और यह सब श्री महाराज जी जैसे दिव्य सखशियत के नाम और धाम के आर में ! भांड़ में जाए सिद्धांत, यह सोच है मनगढ़ वासी का ।
चिराग तले अंधेरा वाली बात ।
क्या ऐसे लोगों से होगा श्री महाराज जी के सिद्धांतों का प्रचार ??
माया का गुण हीं ऐसा है कि अच्छे अच्छों का नियत नीति दोनों विकृत कर देता है,चाहे वो महापुरुषों के घर में जन्म लेने वाला जीव हीं क्यों न हो माईक धन का लोभ कब किस पर हावी हो जाए कोई नहीं जान सकता
क्या इस तरह लोग सिखेगें श्री महाराज जी के सिद्धांत?
कथनी और करनी में जिसका फर्क हो वो ना तो हमारे प्रिय गुरूदेव को पसन्द है और न मुझे ।
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