मेरे प्रभु एक दिन तो अपने बाबा नन्द की गोद में बैठकर भोजन कर रहे है , ये बड़ी मधुर लीला है । अपने बाबा नन्द की गोद में बैठकर ठाकुर जी भोजन कर रहे है , मैया यशोदा सुंदर थाली में छप्पन भोग सजाकर लाइ लेकिन प्रभु चुपचाप भोजन नहीं करते क्योंकि नटखट है ना तो कुछ न कुछ बोलते रहते है । एक और बाल कृष्ण बैठे बाबा की गोदी ने और एक और बलराम जी बैठे है । थाली सज गई है और ब्रजरानी यशोदा रसोई के दुआर पर खड़ी-खड़ी निहार रही है की मेरो लाला खावेगो में दूर ते देखूंगी , आरोग ने जा रही है । ब्रज के संतो ने इन लीलाओ को गाया - " की जेवत श्याम , नन्द जू की कनियाँ जेवत श्याम , नन्द जू की कनियाँ कछु खावत , कछु धरनी गिरावत ( कुछ खा रहे है और कुछ निचे गिरा रहे है ) कछु खावत , कुछु नीचे गिरावत छवि निरखत बाबा नन्द जू की रनीयाँ जेवत श्याम , नन्द जू की कनियाँ जेवत श्याम , नन्द जू की कनियाँ " थोडा सा खाते है , थोडा सा नीचे गिराते है । मैया देख-देख आनंदित होती है ,हाय मेरो लाला खारयो है । और भगवान बिच-बिच में खाते-खाते पूछते जाते है की बाबा या वस्तु को नाम कहा है ? याते कहा कहवे ? ये कौनसी वस्तु है ? बाबा जब तक बताओगे नाय तब तक में खाऊंगो नहीं तो बाबा ने कह दिया की बेटा कन्हिया याको नाम है " रामचक्रा " , का नाम है ? " रामचक्रा " अब तो महाराज मचल गए प्रभु और बोले बाबा अब आओ खाओ , दाऊ भैया खाए और अब हम नहीं खाएंगे तो पूछा लाला कहाँ बात हे गयी ? मैंने या वस्तु को नाम ही तो बोलो तो तू नाराज क्यों हे गयो ? भगवान बोले मोकू लगे है आप दाऊ भैया ते ज्यादा प्यार करो हो , आपने या खावे की चीज़ में भी दाऊ भैया को नाम धर दियो " रामचक्रा " बोले खाने वस्तु को नाम भी दाऊ भैया के नाम पर धर दियो और बाबा जब तक मेरे नाम की वस्तु मोकू नहीं दिखाओगे तब तक भोजन नहीं करूँगा में , कहा मेरो नाम को कछु नहीं ? बाबा बोले देख कन्हिया तू रोवे मत ये देख ये जो दूसरी कटोरी में वस्तु धरी है ना याको नाम है " कृष्णचक्रा " , प्रभु बोले हे बाबा साँची कहरे हो ? बाबा बोले बिलकुल साँची याको नाम है " कृष्णचक्रा " , अब तो ठाकुर जी प्रसन्न हो गए और उठाकर खाने लगे । आप लोग सोच रहे होंगे की " रामचक्रा " और " कृष्णचक्रा " क्या है ? हमारे ब्रज में " दही-बड़े " को " दही-बड़ा " नहीं कहते है बल्कि आज भी कहा जाता है " रामचक्रा " और हमारे ब्रज में आज भी इमरती को भक्त " कृष्णचक्रा " कहते है। आपसे भी में प्राथना करूँगा की आप भी आगे से दही-बड़ा आए सामने या किसी से मंगवाओ या इमरती मंगवाओ या सामने आपके रखी हो आप उसको किसी को बताओ तो इमरती मत बोलना , दही-बड़ा मत बोलना बल्कि इमरती को " कृष्णचक्रा " और दही-बड़े को " रामचक्रा " बोलना ये सब किसलिये रखे गए नाम ? ताकि इसी बहाने कम से कम ठाकुर जी का नाम लेने को मिल जाए हमे ,नहीं तो भोगो में ही पड़ा रहता है जीव तो कम से कम इसी बहाने " राम " और " कृष्ण " का नाम निकल जाए मुख से तो ऐसी लीला ठाकुर जी करते है । ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी। लाकर थाली एक और रख दई तो अब भगवान बोले की बाबा हमे और कछु नहीं खानो , ये खवाओ ये कहा है ? हम ये खाएंगे तो नन्द बाबा डराने लगे की नाय-नाय लाला ये तो ताता है तेरो मुँह जल जाओगो तो भगवान बोले नाय बाबा अब तो ये ही खानो है मोय खूब ब्रजरानी यशोदा को बाबा ने डाँटो की मेहर तुम ये क्यों लेकर आई ? तुमको मालूम है ये बड़ो जिद्दी है , ये मानवो वारो नाय फिर भी तुम लेकर आ गई अब गलती हो गई ठाकुर जी मचल गए बोले अब बाकी भोजन पीछे होगा पहले ये ताता ही खानी है मुझे , पहले ये खवाओ । बाबा पकड़ रहे थे , रोक रहे थे पर इतने में तो उछलकर थाली के निकट पहुंचे और अपने हाथ से उठाकर मिर्च खा ली और अब ताता ही हो गई वास्तव में , ताता भी नहीं " ता था थई " हो गई । अब महाराज भागे डोले फिरे सारे नन्द भवन में बाबा मेरो मो जर गयो , बाबा मेरो मो जर गयो , मो में आग लग गई मेरे तो बाबा कछु करो और पीछे-पीछे ब्रजरानी यशोदा , नन्द बाबा भाग रहे है हाय-हाय हमारे लाला को मिर्च लग गई , हमारे कन्हिया को मिर्च लग गई । महाराज पकड़ा है प्रभु को और इस लीला को आप पढ़ो मत बल्कि देखो । गोदी में लेकर नन्द बाबा रो रहे है अरी यशोदा चीनी लेकर आ मेरे लाला के मुख ते लगा और इतना ही नहीं बालकृष्ण के मुख में नन्द बाबा फूँक मार रहे है । आप सोचो क्या ये सोभाग्य किसी को मिलेगा ? जैसे बच्चे को कुछ लग जाती है तो हम फूँक मारते है बेटा ठीक हे जाएगी वैसे ही बाल कृष्ण के मुख में बाबा नन्द फूँक मार रहे है । देवता जब ऊपर से ये दृश्य देखते है तो देवता रो पड़ते है और कहते है की प्यारे ऐसा सुख तो कभी स्वपन में भी हमको नहीं मिला जो इन ब्रजवासियो को मिल रहा है तो आगे यदि जन्म देना तो इन ब्रजवासियो के घर का नोकर बना देना , यदि इनकी सेवा भी हमको मिल गई तो देवता कहते है हम धन्य हो जाएंगे
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