जगद्गुरु आदेश:

 💫अप्रैल 1, 2023: सुबह की भावपूर्ण साधना के मुख्य आकर्षण🎼

🌷✨जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय!✨🌷


दीनता एवं सहनशीलता बढ़ाओ

श्री कृष्ण भक्ति करने वाले को यह पाठ पहले याद कर लेना चाहिए कि यह मन दुश्मन है।  इसमें सबसे बड़ा दोष है अहंकार। अहंकार के कारण दीनता नहीं आती। और भगवान् दीनबन्धु हैं। अहंकार युक्त होकर अगर हम हज़ारों जन्म ज़बान से कीर्तन करें तो भी काम नहीं बनेगा।



याद रखो - तृणादपि सुनीचेन तरोरपि सहिष्णुना (अष्टपदी का पहला श्लोक) - घास से बढ़कर दीन बनो, पेड़ से बढ़कर सहनशील बनो। हमारे पास कुछ चीज़ है ही नहीं जिसका हम अहंकार करें - जब तक माया के अंडर हैं, कौन सी खराबी किस में नहीं है ? अनंत दोषों में से कोई एक कोई बता दे तो फील क्यों करते हो? क्रोध से शरीर की भी हानि होगी। अपने दोष को नहीं मानने से तुमको कोई महापुरुष तो नहीं मान लेगा ? अगर बहस करोगे तो अपना नुकसान तो करोगे ही, दूसरे का भी करोगे।


बार बार सोचो - दीनता और सहनशीलता भक्ति का आधार हैं। मानव देह बीता जा रहा है, कब सोचोगे, कब करोगे? रोज़ अभ्यास करो कि मैंने आज कहाँ कहाँ क्रोध किया - कल नहीं होने देंगे। जब इन दोषों को छोड़ोगे, तो 10 दिन में अपने को शांत महसूस करोगे।

कीर्तन:

- भुक्ति ना दे मुक्ति ना दे बैकुण्ठ ना दे (ब्रज रस माधुरी, भाग 3, पृष्ठ सं. 190, संकीर्तन सं. 114)

- भयो को मो सम पतित बड़ो? (प्रेम रस मदिरा, दैन्य माधुरी, पद सं. 75)

- हरे राम संकीर्तन

- सुनु वंशीवारे साँवरे (प्रेम रस मदिरा, दैन्य माधुरी, पद सं. 89)

- राधे गोविंद परिक्रमा संकीर्तन (भक्त तोहिं प्राणप्रिय गोविंद राधे। हम से पतित कहां जाएं ये बता दे।।)



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