जगद्गुरूत्तम महाप्रयाण दिवस 💦💔
शरद पूर्णिमा साधना शिविर - पहला सत्र
💫नवम्बर 25, 2023: सुबह की भावपूर्ण साधना के मुख्य आकर्षण🎼
🌷✨जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय!✨🌷
स्पेशल वीडियो -
पीर तव विछोह की, कैसे सहेंगे हम।
तेरे बगैर जीके भी, क्या करेंगे हम॥
एक एक साँस में, नाम तेरा होगा।
आँख बन्द होगी तो, रूप तेरा होगा।
आँख जब खुलेगी तो, एक प्रश्न होगा।
मेरे नाथ हैं कहाँ, उन बिन ना रहेंगे हम॥
भोली भाली सूरत, मस्ती भरी चलन।
प्यारी प्यारी बतियाँ, मीठी मुस्कन।
रस भरी अँखियाँ, और चितवन।
याद जब आयेंगी तो, क्या करेंगे हम॥
प्रेम के हो सागर, प्रेम ही तुम ही हो।
प्रेम क्या है चीज़ सिर्फ, जानते तुम ही हो।
बूंद ही पिला दो तो, जी सकेंगे हम॥
जानती हूँ कल्पों से, पाप ही किये हैं।
आप को भी पा कर, कष्ट ही दिये हैं।
आपके सहारे ही, अब तक जिये हैं।
और ठौर कौन जिसको, अब गहेंगे हम॥
तेरा नाम है मेरे पास नाम में है तेरा वास गोविन्द गोविन्द राधे।
यह वर दे दे रोया करूँ तेरा नाम लेके राधे गोविन्द गोविन्द राधे।
मनगढ़ ऐसा जामे गोविन्द राधे। नित ही कृपालु रहें और कृपा दे ॥
--------------------------
प्रश्न - अगर गुरु के जाने के बाद भी साधक साधना करता रहेगा, तो क्या उसका अंतःकरण शुद्ध होता रहेगा ?
उत्तर - हाँ गुरु संभालते हैं। जब वो शरणागत रहेगा तो उसका प्रबंध सब गुरु कर देंगे।
--------------------------
टाइम बर्बाद न करो। जितना समय पेट भरने के लिए ज़रूरी है उतना समय संसार को दो, बाकी टाइम भगवद् विषय में लगाओ। तब अंतःकरण की शुद्धि की ओर हम जल्दी बढ़ जाएँगे।
अगर साधना करते समय बीच में मर गए तो हमारी साधना की स्पीड फिर हमें मनुष्य बना देगी। और फिर कोई गुरु मिल जायेगा या हमारा वही गुरु दूसरा रूप धारण करके आ जायेगा और हम को फिर आगे बढ़ाएगा। भगवान् के यहाँ अंधेर नहीं है कि गुरु हमें बीच में छोड़ दें। वह सदा के लिए हमारा साथ देता है भगवत्प्राप्ति तक। इसलिए टाइम का उपयोग करो, साधना करते रहो।
कीर्तन:
- कहाँ हरि! सोये हमरिहिं बार (प्रेम रस मदिरा, दैन्य माधुरी , पद सं. 26)
- हरे राम संकीर्तन + रामायण चौपाई
हा रघुनंदन प्राण पिरीते। तुम्ह बिनु जियत बहुत दिन बीते ||
अब प्रभु कृपा करहु एहि भाँति। सब तजि भजन करहुँ दिन राती॥
उमा कहहुँ मैं अनुभव अपना। सत हरि भजन जगत सब सपना॥
No comments:
Post a Comment