अगर मनुष्य सारे जीवन साधना ठीक-ठीक करे और आखिरी कुछ क्षणों में नास्तिक हो जाय, ऐसा कुछ हो उसके साथ। तो क्या उसको चौरासी लाख में फिर भटकना पड़ेगा?

        【 प्रश्न : 25】


अगर मनुष्य सारे जीवन साधना ठीक-ठीक करे और आखिरी कुछ क्षणों में नास्तिक हो जाय, ऐसा कुछ हो उसके साथ। तो क्या उसको चौरासी लाख में फिर भटकना पड़ेगा?



                                                        श्री महाराज जी द्वारा उत्तर





हाँ, अन्तिम समय में जो उसकी स्थिति होगी वही फल मिलेगा। लेकिन पहले जो कर चुका भक्ति, साधना वह भी उसके पास जमा रहेगा। तो ये जो आगे वाला है उसका फल पहले भोग लेगा फिर पीछे वाले का फल देगा। यानी पहले तो वह संसार में पैदा होगा, दुःखी होगा, नास्तिक होगा और फिर बाद में जब वह प्रारब्ध समाप्त हो जायेगा भोगकर के, तब वह भक्ति का जो उसका पार्ट है वो उसका फल दे दिया जायेगा। बेकार नहीं जायेगा कुछ। बेकार कोई एक क्षण की भक्ति भी नहीं जाती। कर्म बेकार जाते हैं, ज्ञान बेकार जाते हैं, योग बेकार जाते हैं। भक्ति बेकार नहीं होती, वह सब अमिट है इनराइटिंग। इसने इतना भगवन्नाम लिया, इतनी गुरु सेवा की। सब चीजें एक-एक दर्ज हैं, लिखी हुई। उसका फल उसको मिलेगा।



          जगद्गुरुतम श्री कृपालु जी महाराज

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