*दान का महत्व‼️*

 

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वेदव्यास कहते हैं धन की तीन गति होती हैं-पहली गति दान, दूसरी गति अपने लिये भोग और तीसरी गति बाल बच्चों के लिये जमा कर देना ।


तीन गति होती हैं धन की। जो दान करता है उसकी उत्तम गति और जो खाली अपने लिये पूरी जिंदगी भर कमाया खाया,गँवाया ये सैकिण्ड क्लास की गति और जो छोड़ गया कमा करके, न दान किया,न अपने काम में लगाया उस धन का नाश होता है वह धन अनर्थकारी होता है। तो फिर बच्चों को मिल गया कमा कमाया धन, बच्चे का कैरेक्टर खराब होगा। वो कमायेंगे नहीं और धन का दुरुपयोग करेंगे।


तो उत्तम गति है दान, और दान चार प्रकार का होता है। एक तामस व्यक्ति को दान करना, एक राजस व्यक्ति को दान करना, एक सात्विक व्यक्ति को दान करना और गुणातीत को दान करना। तो जिस पात्र को हम दान करेंगे उसी का फल मिलेगा।


अगर हमने ऐसे व्यक्ति को दान किया है जो तामसी है तो हमको नरक मिलेगा। दान का फल और अगर ऐसे व्यक्ति को दान किया है जो रजोगुणी है, तो हमको रजोगुण का फल मिलेगा और अगर हमने देवताओं को दान किया है-इन्द्र, वरुण,कुबेर आदि के नाम से, याज्ञदिक में तो स्वर्ग मिलेगा। और अगर महापुरुष और भगवान् को दान किया है, तो उससे भगवत्कृपा मिलेगी, और भगवत्प्रेम मिलेगा। ये चार प्रकार का दान का फल होता है। जिस पात्र में दान करोगे उसी पात्र का फल मिल जायगा। इसलिये दान में पात्र का विचार बहुत आवश्यक होता है।


गलत पात्र में दान करने का परिणाम गलत होता है। नरक तक मिल जाता है। और हम दान कर रहे हैं। हमने दान किया और उस दान के पैसे से उसने पाप किया, तो हमको भी दण्ड मिलेगा।.....

*जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज !!*


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*_दानमेकं कलौ युगे_* 


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