_भगवान् कृष्ण मेरे मन में सदा रहते हैं लेकिन जब कोई काम करने लगती हूँ तो लगता है मै दूर चली गई हूँ। ऐसा क्यों?_
*श्री महाराज जी द्वारा उत्तर*
_नहीं, जब काम करने जाया करो तो भगवान् को अन्दर बैठा दिया करो, अन्तःकरण में कि अब तुम आराम करो मैं काम करती हूँ। ये फीलिंग रहे कि हमारे अन्दर बैठे हैं। हम काम कर रहे हैं बस। हम अकेले नहीं है कभी। अपने को अकेला माना कि पाप करेगा। कोई बच नहीं सकता। सबसे बढ़िया इलाज यही है, अपने को कभी अकेला न मानो।और ये फैक्ट है, कोई भावना की बात नहीं। भगवान् सबके हृदय में निरन्तर बैठे-बैठे उसके आइडियाज नोट करते हैं, फिर फल देते हैं, ये बात सही है। इसको रियलाइज करना है। बातों में न आ जाओ। होशियार रहो। अभ्यास करने से पक्का हो जायेगा।_
_देखो, खाना खाती हो, अगर खाते-खाते, खाते-खाते, बड़ा अच्छा है, बड़ा अच्छा है एक कंकड़ आ गया- हूँ, ऐं, आ। तो कोई गड़बड़ आवे, फौरन उससे सावधान हो जाना चाहिये।_
जगद्गुरूतम श्री कृपालु जी महाराज
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