भक्ति का मतलब तो खाली प्यार है। अरे!भगवान् कहते हैं कि भई तुम हमसे प्यार करोगे, हम तुमसे कर लेंगे। हाँ, बस बराबर हो गया हिसाब।
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
(गीता, ४-११)
जो जिस भाव से, जितनी लिमिट(Limit) में मुझसे प्यार करेगा, मैं उससे उसी भाव से, उतनी ही मात्रा में प्यार करूँगा। निश्चिन्त रहे वो।
संसार में हम किसी से प्यार करते हैं, तो आईडिया(Idea) लगाते रहते हैं। ये करता है कि नहीं, ये कितना करता है?
वो मेरी ओर लगातार देख रहा है, बहुत करता है। नहीं, ये तो मेरी ओर देख ही नहीं रहा।
ये प्यार-व्यार नहीं करता। हम बेफकूफ बन रहे हैं खामखाह। हमने दस बार फोन किया
और इसने एक बार भी नहीं फोन किया।
सब बेकार, मैं खामखाह इसके पीछे पड़ा हूँ।
हम पक्के बिज़नेसमैन (BusinessMan)हैं।
वो चाहे कितना ही भीतर से प्यार कर रहा हो।
हम अन्तर्यामी तो हैं नहीं। हम तो बाहर की चीज़ देखेंगे। वो एक्टिंग(Acting) में तीन दिन से खाना नहीं खाया, हमको रिपोर्ट(Report) मिली।
आपसे बहुत प्यार करती है वो, चार दिन से खाना नहीं खाया। सच? हाँ। अच्छा? बेफकूफ बन गया वो। हा-हा-हा! तो, रोज़ बनते हैं हमारे संसार में हज़ारों लोग।
भगवान् कहते हैं, हमारे बारे में बुद्धि मत लगाना। हम उल्टा व्यवहार भी करते हैं।
लेकिन प्यार तो जितना तुम करोगे, उतना हमको करना ही है। ये समझे रहो। फ़ेथ(Faith), डाउट(Doubt) नहीं। हमारी क्रिया को मत देखना। हम तीनों प्रकार की क्रिया करते हैं। कभी प्यार बाहर से आपने किया, हमने भी किया। और कभी आपने बाहर से प्यार किया और हम उधर देख रहे हैं। और कभी आपने बाहर से प्यार करने को हाथ फैलाया और हमने कहा, गेटआउट(Getout)।
क्यों कहा हमने ऐसा?
मैं नोट(Note) करूँगा कि तुम अब क्या सोच रहे हो?
अगर तुम ये सोच रहे हो, ये देखो, हम तो मरे जा रहे हैं और ये गेटआउट कह रहे हैं।
तो, तुमने नहीं समझा हमको। क्योंकि मेरा लॉ(Law) है, जितना प्यार तुम कर रहे हो, उतना हम भी करेंगे। क्यों नहीं डिसाइड(Decide) किया ये? अगर ये डिसीज़न(Decision) रहता, तो तुम हँसते हमारे गेटआउट कहने पर। अरे! क्या गेटआउट कह रहे हो, मुझे पता है।
*जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज*
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