प्रश्न - नामापराध क्या है ?


   नामापराध के विषय में कई आचार्यों ने कई प्रकार से लिखा है। लेकिन प्रमुख रूप से नामापराध माने राधा-कृष्ण, उनका नाम, रूप, लीला, गुण, धाम और संत इन में कहीं भी मन से दुर्भावना ना करना। मुख से बोलना आवश्यक नहीं है, केवल मन से सोचना नामापराध है। जैसे भगवान् और उनके संत के खिलाफ सोचना, उनके नाम में छोटा-बड़ा मानना आदि। इसमें भी प्रमुख है, महापुरुष के प्रति दुर्भावना। *विष्णु स्थाने कृतं पापं गुरु स्थाने प्रमुच्यते* भगवान के प्रति अपराध हो जाये, तो गुरु क्षमा कर सकते हैं।लेकिन, *गुरु स्थाने कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति*। यानी के प्रति किया हुआ अपराध भगवान् क्षमा नहीं कर सकते। उदाहरण - अम्बरीष के लिए भगवान् ने ब्राह्मण ऋषि दुर्वासा के पीछे चक्र चला दिया।_

     _भगवान् का तो दर्शन पहले होता नहीं, वे हमारे साथ कोई व्यवहार भी नहीं करते हैं। महापुरुष का ही हमारा होता है और हम वहीं अपराध करते हैं। महापुरुष को देखते ही उनके बाहरी व्यवहार में अपनी मायिक बुद्धि लगाकर चोरी चोरी अपराध करते हैं। भगवान् हमारे भीतर बैठकर हमारे विचार नोट करते रहते हैं। उनके भक्त के खिलाफ सोचने से अनंतकोटि भक्ति करने पर भी भगवान् क्षमा नहीं करेंगे, कृपा नहीं करेंगे। जब हम संसार के रिश्तों-नातों को ही नहीं समझ सकते, तो महापुरुष और भगवान् को समझने का कैसे दावा कर सकते हैं? जार चित्ते कृष्ण प्रेमा करये उदय, तार वाक्य क्रिया मुद्रा विज्ञेय न बुझय (गौरांग महाप्रभु) महापुरुष के वाक्य, क्रिया और मुद्रा (एक्शन) को कोई नहीं समझ सकता। बड़े-बड़े ज्ञानी चक्कर खा जाते हैं। वे कृपा किसी और पर करते हैं और हृदय से किसी और को चिपटा रहे हैं। जिसको चिपटा रहे है वो समझता है हमारे ऊपर विशेष कृपा है। लेकिन ऐसा नहीं है। महापुरुष हमारे भीतर की शरणागति के अनुसार ही हमें फल देंगे - ये फॉर्मूला हमेशा याद रखो। वो चाहे तुमको कभी छूएँ भी नहीं, भीतर से वे हमेशा तुम्हारे साथ हैं, क्योंकि तुम उनके साथ हो।_

     _अनंत जन्मों में अनंत कीर्तन सत्संग आदि बड़े-बड़े साधन करने के बाद भी हम नामापराध करके सब गँवा देते हैं।_ 

*हेन कृष्णनाम यदि लय बहु बार।*

 *तभूयदि प्रेम नहे, नहे अश्रुधार ॥*

 *तबै जानिबे अपराध आछे प्रचुर।* 

*हेन कृष्णनाम बीज न हय अंकुर॥* 

     _नामापराध से ही श्रीकृष्ण नाम का बीज अंकुरित नहीं होता, मुरझा जाता है। नामापराध सबसे बड़ा पाप है, इसलिए उससे बचना चाहिए।_

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