"मुझे शरीर का दुःख नहीं है, दुःख तो केवल इस बात का है
कि तुम लोग मेरी बात ही नहीं सुनते हो !
मुझसे जब भगवान् पूछेंगे कि तुम मेरे पास कितने जीवों को
लाये हो?
तो मैं क्या जवाब दूँगा भगवान् को?
मेरा यहाँ आना ही व्यर्थ हो जायेगा, इसलिये तुम लोग और लापरवाही मत करो।
हरि-गुरु में अनन्य हो जाओ (हरि-गुरु के अलावा कहीं भी मन की आसक्ति (राग-द्वेष) मत करो), सदा सर्वत्र हरि-गुरु को अपने साथ अपने निरीक्षक रूप में Realize करो, फालतू की सांसारिक चर्चा में समय व्यर्थ ना करो, समय का सदुपयोग करो।
श्यामा-श्याम के मिलन के लिये स्वयं को अधम गुनहगार मानते हुये आँसू बहाते हुये उनसे केवल उनके दिव्य दर्शन, निष्काम प्रेम तथा सेवा की याचना करते हुये......
साधना करो ! साधना करो !!
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ...!
🌷🌷 राधे राधे 🙏🙏🏻
No comments:
Post a Comment