*भक्ति दिवस साधना शिविर - पहला सत्र*
💫जनवरी 1, 2025: सुबह की भावपूर्ण साधना के मुख्य आकर्षण🎼
🌷✨जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय!✨🌷
*जगद्गुरु आदेश:*
उधार करना बंद करो -
संसार में दो चीज़ें बहुत दुर्लभ हैं: 1. मानव देह। स्वर्ग के देवता भी मनुष्य शरीर पाने के लिए तरसते हैं। इसी में कर्म करने का अधिकार है। इसी शरीर में भगवत्प्राप्ति हो सकती है। करोड़ों कल्प और योनियों में भटकने के बाद कभी भगवान मानव देह देते हैं । 2. वास्तविक गुरु जो शास्त्रों वेदों का सार समझा दें।
और भगवान् को पाना सबसे सरल है, क्योंकि वे अंदर ही बैठे हैं।
फिर भी अगर बिना भगवत्प्राप्ति किए मर गए, तो इसके दो कारण हैं:
1. हम लोग अपने अंदर और सब में भगवान को नहीं मानते। वे सबके अंदर बैठे हैं और हमारे विचार नोट करते हैं।
2. भगवान की (तन, मन, धन से) भक्ति करने में उधार कर देते हैं। रावण ने लक्ष्मण से कहा - अच्छा काम तुरंत करना, और गलत काम को उधार कर देना। इससे ये होगा कि मनुष्य की प्रवृत्ति बदलती रहती है - तो क्या पता कल वो खराब वाला विचार न आये और हम पाप करने से बच जाएँ। भगवान् की भक्ति में उधार मत करो। जब पेट के लिए 6-8 घंटे लगाते हो, तो आत्मा के लिये कम से कम 2-4 घंटे तो दो! कुछ काम नहीं है तो अंड बंड सोचते रहते हैं - अरे भगवान् को ही सोच लो जिससे मन शुद्ध हो जायेगा। लापरवाही मत करो।
मानव देह क्षणभंगुर है। अगला क्षण मिले न मिले। अगर पाप करते-करते ये देह छूट गया तो चौरासी लाख योनियों में भटकना होगा - इसको कोई नहीं रोक सकता। इसलिए भगवान् की कृपा को रियलाइज़ करके, सब में भगवान् को मानो और भक्ति में उधार नहीं करो।
*कीर्तन:*
- भुक्ति ना दे मुक्ति ना दे बैकुण्ठ ना दे (ब्रज रस माधुरी, भाग 3, पृष्ठ सं. 190, संकीर्तन सं. 114)
- जयति जय जय सद्गुरु महाराज (प्रेम रस मदिरा, सद्गुरु माधुरी, पद सं. 3)
- हरि हरि बोल बोल हरि बोल
गौर हरि बोल कृपालु हरि बोल
गौर हरि बोल, चैतन्य हरि बोल
हरि हरि बोल बोल हरि बोल
हरि गुरु भजु नित गोविंद राधे।
भाव निष्काम अनन्य बना दे॥
भुक्ति ना दे मुक्ति ना दे बैकुण्ठ ना दे,
क्षण क्षण हरि गुरु स्मरण करा दे॥
भुक्ति ना दे मुक्ति ना दे बैकुण्ठ ना दे,
सदा सर्वत्र रूपध्यान करा दे॥
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