ऐसा करके दिखा दो



ऐसा करके दिखा दो कि एक भी शिकायत न मिले । उससे खुशी के मारे हमारा एक किलो खून बढ़ जाऐगा । नुकसान तुम लोगों का होता है और ममता से दु:ख हमें होता है । इतनी सारी भगवत्कृपायें तुम लोगों पर हैं । अब और क्या कृपा चाहते हो ?

जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज

कमाने- कमाने की बात सोचो।



आलस्य, लापरवाही, दूसरे में दोष देखना, परनिन्दा सुनना- ये सब गड़बड़ी जो हम करते हैं, इसको बन्द करके कमाने- कमाने की बात सोचो।

सावधान होकर के कमाई पर ध्यान दो। गँवाना न पड़े। बचे रहो। कम से कम खर्चा करो तब लखपति, करोड़पति बनोगे। कम से कम संसार में व्यवहार करो और गलत व्यवहार तो होने ही मत दो। अहंकार बढ़ेगा, दीनता छिन जायेगी, भक्ति समाप्त हो जायेगी, मन गन्दा हो जायेगा। क्या करेगा गुरु? भगवान् अन्दर बैठे हैं। क्या करेंगे? जब हम ही नहीं सँभलेंगे तो कोई क्या करेगा? अतः आप लोगों को स्वयं समझ लेना चाहिये हमारा उत्थान-पतन कहाँ है? और आगे के लिये भी सावधान रहना चाहिये। तुम लोग समझदार हो आशा करता हूँ मुझे और दुःखी नहीं करोगे।

जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज!


साधुसंग मानों चावल का धोया हुआ पानी होता है। किसी को अत्यधिक नशा हो तो उसे चावल का धोया हुआ पानी पिला देने से नशा उतर जाता है। इसी प्रकार साधुसंग संसार में कामना , वासनारूपी मद पीकर जो मत हुए हैं उनका नशा उतार देता है।

जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज

तुमने बहुत बड़ा अपराध किया है।


तुमने बहुत बड़ा अपराध किया है।
भगवान् की कृपा का दुरुपयोग किया है।
क्या किया पैदा होकर?
बी॰ए॰, एम्॰ए॰।
इसके बाद क्या किया?
एक विवाह किया, विषय भोग किया,
दो, चार, दस, बीस बच्चे हुये, नाती -पोते हुये।
और क्या किया?
एक करोड़, दो करोड़, दस करोड़ कमाया।
और फिर क्या हुआ?
फिर मर गये।
इसीलिये मानव देह दिया था?

जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज