Niskam Sakam



प्रायः देखा जाता है कि लोग साधना के पूर्व ही सांसारिक विषयों की अनन्तानन्त कामनाएं अपने हृदय में भर लेते हैं और साथ ही दावा यह करते हैं कि हम सकाम - भक्त हैं । अरे भाइ ! सकाम भक्त का भी अभिप्राय यह नहीं होता क्योंकि सकाम - भक्त तो " भक्त" भी होता है तुम तो केवल सकाम हो । अत: फिर द्रौपदी, गजराज आदि सकाम भक्तों की  समानता कैसे करोगे ?

जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज

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