भगवान् का न कोई रूप होता है, न कोई नाम होता है l तुम जैसा मान लो, वैसे ही तुमको मिल जायेंगे l ‘क’ बोलो ‘ख’ बोलोl देखो ब्रजवासियों ने कभी श्रीकृष्ण नहीं कहा, लाला, अपनी भाषा में बेटा बोल दो l बस बेटा बेटा l हरे बेटा हरे बेटा बेटा बेटा हरे हारेl इससे कोई मतलब नहींl नाम का महत्व नहीं है, नामी का महत्व है यानी नाम में नामी भरा है l ये बुद्धि में भरो, तब लाभ मिलेगाl मन जहाँ रहेगा, मन का अटैचमेन्ट जहाँ होगा, उसी की उपासना मानी जायगीl तुमने कहा- राधे राधे, लक्ष्य क्या है तुम्हारा राधे बोलने में ? हमारी नौकरानि का नाम है, हमारी मम्मी का नाम है, बीबी का नाम है l हमारी बहिन का नाम है राधे l तो राधे राधे दिन रात बोलो ऑसू बहाओ, बेहोश हो जाओ, वही राधे माँ मिलेग, वही राधे बीबी मिलेगी, वही राधे बहिन मिलेगीl वही राधे नौकरानी मिलेगी l वो राधा तत्व पर्सनेलिटी का स्वप्न भी नहीं मिल सकता l जहाँ मन का अटैचमेन्ट होगा, उसी पर्सनेलिटी का लाभ मिलेगा l
तो इसलिये भगवान् का नाम ले
रहे हो कीर्तन कर रहे हो, ये बात तब साबित होगी जब तुम्हारा यह विश्वास सेन्ट परसेन्ट
दृढ़ हो कि इस नाम में भगवान् का निवास है l फिर कोई नाम लोl
राम कहो, कृष्ण कहो, गधा कहो,
मन में आये जो कहो l कोई शर्त नहीं भगवान् का l
----- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी
महाराज
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