'ब्रजभाव-माधुर्य'

राधे राधे..

'ब्रजभाव-माधुर्य'
खंड : साधना संबंधी परामर्श

टॉपिक : भगवतरुचि कम क्यों हो जाती है? वह कैसे बढ़े? (जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु के प्रवचन के अंश से)

"..प्रारम्भ में जब कोई साधक किसी महापुरुष के संपर्क में आता है तो उसमें अश्रु (आँसू) आदि अनेक सात्विक भावों का प्रचुर मात्रा में प्रादुर्भाव देखा जाता है और यह भी देखा जाता है कि भगवत् स्मरण में उसका मन खूब लग रहा है. लेकिन किसी साधक के ये भाव कम हो गये दिखाई पड़ते हैं, उसका एकमात्र कारण यह है कि उसने प्रतिक्षण उस भाव को संजोये (बनाये) रखने का प्रयत्न नहीं किया, आगे की स्थिति को प्राप्त करने का उद्योग नहीं किया और कुछ समय साधना करके, अपनी भगवत् मार्ग में उपार्जित (कमाई हुई) उस तुच्छ स्थिति पर ही संतोष कर लिया, इस कारण से ऐसी स्थिति में वह आ गया है. अब भी अगर वह इस बात को अनुभव करे और निरंतर साधक प्रभु स्मरण की इस राह पर चल जाय तो वह न केवल अपनी पुरानी स्थिति को प्राप्त कर लेगा वरन आगे भी बढ़ जाएगा.."

- जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज..
Ref. आध्यात्म संदेश मैगजीन, अक्टूबर 1998, पृष्ठ 51

* ब्रजभाव माधुर्य
* सुश्री गोपिकेश्वरी देवी जी
* श्री कृपालु भक्तिधारा प्रचार समिति

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