💫मई 5, 2023: सुबह की भावपूर्ण साधना के मुख्य आकर्षण🎼
🌷✨जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय!✨🌷
जगद्गुरु आदेश:
मानव देह क्षणिक है -
तन का भरोसा नहिं गोविंद राधे ।
याते क्षण क्षण मन हरि में लगा दे ॥
वैसे तो संसार में 99% लोग जानते ही नहीं हम कौन हैं, हमको मानव देह क्यों मिला है और हम इस बंधन से कैसे छुटकारा पा सकते हैं। और जिनको यह ज्ञान है, उन लोगों में एक कमी है कि वे इस पर गंभीर विचार नहीं करते कि यह शरीर जिस पर हमको गर्व है, यह एक क्षण में समाप्त हो सकता है बिना बताये।
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् - अंत समय में जिसका स्मरण करके शरीर छोड़ेंगे, उसी की प्राप्ति होगी।
शरीर क्षणिक है, ऐसे ही आत्मा की चिंता भी हो, अगला क्षण मिले न मिले - अगर हम इस पर गंभीर विचार करें और हर समय किये रहें, तो लापरवाही न हो।
वर्क के अलावा जो समय बचे भगवद् चिन्तन में लगाओ - गँवाओ नहीं। अकेले बैठकर यह चिंतन न करें कि कौन कैसा है।
उधार मत करो । बुढ़ापे में 2 प्रॉब्लम आएगी - 1. शरीर कमज़ोर और बीमार होगा 2. संसार के परिवार बढ़ जायेंगे, उनमें अटैचमेंट हो जायेगा - उनसे डिटैच करने में उतनी ही परेशानी होगी।
सब कर ममता ताग बटोरी। मम पद कमल बाँधु बट डोरी॥ - सब जगह से अटैचमेंट हटाकर भगवान् में लगाना होगा।
ये सावधानी बरतने का अभ्यास करना होगा।
कीर्तन:
- श्यामा श्याम गीत
- अपनी ओर टुक हेरो री, किशोरी राधे (प्रेम रस मदिरा, दैन्य माधुरी, पद सं. 2)
- राधे गोविन्द परिक्रमा संकीर्तन (हरि गुरु भजु नित
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