♻♻हमारे महाराज जी♻♻
महाराज जी हमारे प्रत्येक आइडियाज को नोट करते हैं। एक सत्संगी मेरठ के चार लोगों के साथ श्री नगर गये तो वहां रात को आठ बजे वो डलझील में शिकारा हाऊस बोट की तरफ चले तो आसमान में भी काली रात और वहां चारों तरफ पानी बस दूर एक छोटी सी लाइट जल रही थी। हाऊस बोट झील के उस किनारे और वो लोग इस किनारे। तो नाव (बोट) बगैरह भी सब बन्द हो चुकी थी उनको झील को क्रास करके जाना था l किसी तरह से उनको एक बोट मिली तो उसमें बैठ कर उस पार जा रहे थे कि उन सत्संगी में से एक हार्ट पेशेंट थी, उन्हें बहुत ज्यादा डर लगने लगा तो उनकी तबियत खराब होने लगी। और जैसे ही उनकी तबियत बिगडी ठीक उसी समय एक सत्संगी का फोन उनके पास आ गया और एकदम महाराज जी की बातें मनगढ़ की बतानी शुरू कर दी कि मनगढ़ में आज महाराज जी ने क्या लीला की हैं। तो जब तक फोन पर बातें हुई महाराज जी की तब तक रास्ता पता ही नहीं लगा कि कब खत्म हो गया और वो दूसरे किनारे पहुंच गये। यह महाराज जी का ही कमाल था। कि वो जीव की प्रत्येक क्रिया को नोट करते हैँ।
🌹महाराज जी का दो साल पहले ब्रह्मभोज हुआ था तो बरसाने में भीड़ अधिक होने के कारण कुछ बुजुर्ग लोगों को सत्संग हाल के पीछे इन्तजाम किया गया था। उन्हीं में से एक साधू भी थे तो उनसे बात होने लगी। बातों ही बातों में वो बताने लगे कि वृन्दावन में महाराज जी नें वो रस लुटाया है जिसका शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता है। आप लोग तो उस समय पैदा ही नहीं हुये होगे मैं तो उनके संग रहता था कई बार।
उस रस को शब्दों में कौन बयान कर सकता है महाराज जी तो बन्द आँखों से ही न जाने कितना रस पिला देते। अगर आँखे खोलते तो न जाने क्या हो जाता । वो बोले जब महाराज जी राधे नाम बोलते थे अचानक तब तो पता नहीं सब लोग किस रस के वशीभूत हो जाते थे। उस समय लालटेन की रोशनी में रात को कीर्तन होता था। जब कीर्तन बन्द होता था तो लगता था क्या छिन गया। बोले आप लोग तो पता नहीं क्या साधना करके आये हो l जिसको महाराज जी का साथ मिला हो। फ़िर बोले, जिसे उनका सानिध्य मिला फिर उसे क्या पाना शेष रह गया। फिर सब लोग उनसे इसलिए अलग हट गये क्योंकि उनके आँसू आने लगते थे। तो महाराज जी के ब्रह्म भोज में यदि वो कहीं खाना सही ढंग से नहीं खा सके तो अपराध हो जायेगा। वो बताना तो बहुत कुछ चाहते थे लेकिन हम लोगों को लगा कि सेवक सेवा करने की जगह सुख लेने लगे l
हमारे महाराज जैसी कृपा करने वाला कौन अवतार होगा, इतनी कृपा जो लुटा सके।हर पल कृपा, कृपा, कृपा बस कृपा के स्वरूप ही हैं l
प्यारे प्यारे महाराज जी की जय।
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