_*मृत्यु सबकी निश्चित है, चाहे महापुरुष हो या कोई मायाबद्ध हो। महापुरुष भी भगवान् का जैसे आदेश है, उतने दिन इस मृत्युलोक में रहते हैं। सबको अपने समय पर जाना पड़ता है। मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप आदि काम नहीं देगा। *मृत्युंजय मंत्र का जाप करके दूसरों को ज़िंदा कराने का दावा करने वाले पंडित जी भी स्वयं एक दिन मरेंगे। प्रारब्ध सब को भोगना पड़ता है। मृत्युंजय मंत्र का अर्थ भी यही है कि हमें मोक्ष दो, इस आवागमन के चक्कर, भवबंधन के चक्कर (पैदा होना, मरना, फिर माँ के पेट में उल्टा टंगना) से छुट्टी दे दो, ये नहीं है कि हमें मृत्यु से बचा लो। जब मरना सब का निश्चित है, तो कभी भी कोई इस भ्रम में न रहे कि किसी भी कर्म, धर्म, यज्ञ, व्रत अथवा तपश्चर्या से कोई मरेगा नहीं - ऐसा आज तक न हुआ है न आगे होगा। एक दिन मरना सबका निश्चित है और मरने के बाद भगवान् करते हैं कौन, कहाँ, कब तक के लिए जायेगा (नरक, स्वर्ग, मृत्युलोक या भगवान् के यहाँ) - ये न कोई ज्योतिषी बता सकता है न कोई महापुरुष।*_
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