*बहु जन्म करें यदि श्रवण कीर्तन, तभू न पाय कृष्ण पदे प्रेम धन

 

*बहु जन्म करें यदि श्रवण कीर्तन, तभू न पाय कृष्ण पदे प्रेम धन


Jagadguru Shri Kripalu ji Maharaj 

।*


गौरांग महाप्रभु ने कहा हजारों जन्म तुम राम राम राम राम करते रहो कुछ नहीं मिलेगा। करके देख लो संसार का अटैचमेन्ट जाता है क्या इससे। ये तो जबान से बोल रहे हो, मन तो संसार में है। भगवान ने अर्जुन को जो गीता में समझाया वो क्या है-


*तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युद्ध च।* 

(गीता ८-७) 


मन का स्मरण मेरा हो और इन्द्रियों से वर्क संसार का हो। हम उल्टा करते हैं इसका। मन का अटैचमेन्ट संसार में हो और इन्द्रियों का वर्क भगवान का हो, क्या मिलेगा। अरे दस साल हो गये करते करते बीस साल, अरे दस जन्म हो जाएं क्या मिलेगा। तुम साधना ही उल्टी कर रहे हो। भगवान् के द्वारा ही अन्तःकरण शुद्ध होगा। ये मन जब भगवान में लगेगा तब अन्तःकरण शुद्ध होगा। अन्तःकरण शुद्ध होगा जब आप भगवान का रूपध्यान करके आँसू बहाऐगें ll


-जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु महाप्रभु जी के प्रवचन का अंश।

No comments:

Post a Comment