श्रीमद बक्र न कीन्ह केहि प्रभुता बधिर न काहि ।

 

jkpsmji.bkogspot.com

अभी एक करोड़ है, अगर दो करोड़ हो जाये या एक अरब है अगर दो अरब हो जाये तो निश्चिन्त हो जायें । अरे, यही करते-करते तुम्हारे अनंत जन्म बीत गये, तुमको पता नहीं है कि तुम अनंत बार स्वर्ग सम्राट इन्द्र बन चुके हो, तुम्हारे अंडर में थे, यमराज वगैरह । तब तो प्यास बुझी नहीं, तो अब एक करोड़, एक अरब, एक खरब में तुम सोचते हो कि हम निश्चिन्त हो जायेंगे, बड़े भोले हो । भोला माने घोर मूर्ख । हाँ, मामूली मूर्ख हो तो उसका इलाज भी हो सकता है, घोर मूर्ख का सुधार नहीं हो सकता है । तुलसीदास जी हार गये उन्होंने कहा - आदि जगद्गुरु ब्रह्मा भी चाहे किसी को मिल जाय गुरु रूप में तो भी मूर्ख का उद्धार नहीं हो सकता । ऐसा मूर्ख -

श्रीमद बक्र न कीन्ह केहि प्रभुता बधिर न काहि ।

ये संपत्ति का अहंकार इतना भयानक है कि भगवद प्राप्त महापुरुषों को छोड़कर, कोई भी ऐसा विश्व में न था, न है, न होगा, जो मदान्ध न हो जाये ।

🌷🌷

No comments:

Post a Comment