जिसने भगवान् की भक्ति की, उसने सब धर्म का पालन कर लिया और जिसने भगवान् की भक्ति नही की और सब कुछ किया, ध्यान दीजिए और सब कुछ किया । बड़ा वर्णाश्रम धर्म का पालन किया, तपस्या किया, योग किया, बड़ी-बड़ी साधनायें की, नई सृष्टि बना सकता है, विश्वामित्र की अवस्था पर पहुँचकर । नया स्वर्ग बना दिया विश्वामित्र ने । सब धिक्कार है, इस तपस्या पर और इस चमत्कार पर । भक्त लोग लात मारते हैं इसके ऊपर, दृष्टिपात तक नहीं करते ऐसे कर्म पर, वह पाप हैं सब । उसको पाप कह रहे हैं वेदव्यास । इसीलिए पद्म पुराण में वेदव्यास ने कहा - ऐ मनुष्यों ! मेरे निमित्त किया हुआ पाप भी धर्म हो जाता है और मुझको छोड़कर किया हुआ, धर्म भी पाप हो जाता है ।
जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज
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