न श्वः श्व उपासीत को हि पुरुषस्य श्वो वेद। (वेद)




 कल कल कल मत करो, कल आवे न आवे। प्रह्लाद ने कहा था- कौमार आचरेत्प्राज्ञो धर्मान् भागवतानिह (भागवत ७६.१) अरे! बचपन से ही लग जाओ भगवान् की ओर युवावस्था आवे न आवे। आ गई? हाँ। अरे, अब तो कर लो। फिर वृद्धावस्था में क्या करोगे ? आज हार्ट-अटैक है, कल डायबिटीज बढ़ गया, परसों ब्लड प्रेशर बढ़ गया, गुर्दे काम नहीं कर रहे हैं खाट पर लेटे हैं और चिल्ला रहे हैं नाती पोतों को। फिर क्या करोगे ? " चतुर्थे किं करिष्यति ?" फिर भी हम लोग डटे हैं अपनी जिद्द पर ये सबसे बड़ा आश्चर्य है। इसलिये वेद कह रहा है उधार न करो कल-कल का, क्या पता काल, यमराज कल आने न दे। रात को ही चल बसो ।  हमारे देश में क्या दुनियाँ भर में सैकड़ों मृत्यु ऐसी होती है जो बुद्धि से परे हैं। सो रहा था सोते ही रह गया। न चिल्लाया, न दर्द की फीलिंग हुई, न डाक्टर बुलाने का मौका मिला, सोते-सोते ही सो गया। ये क्या है? इसको कहते हैं हार्ट अटैक । अटैक हो गया। ये हार्ट अटैक नहीं है ये यमराज का अटैक है। अब टाइम पूरा हो गया बस चलो। एक सेकन्ड का समय नहीं देता कि जरा साइन कर लें, अरबों की प्रापर्टी है। ना ना। इसलिये तुरन्त करना है भगवान् श्रीकृष्ण की भक्ति । ये आशय है। जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज

No comments:

Post a Comment