फिर भी पता नहीं क्यों ?
श्री कृपालु जी महाराज जी
का सानिध्य प्राप्त करने के
बाद भी सारे ज्ञान को
समझने के पश्चात भी
ईश्वरीय क्षेत्र की ओर
डायवर्ट होने का प्रयास
क्यों नहीं कर रहे हैं हम?
अनंतानंत जन्मों से
क्यों दुःखों के भोगने
का शौक संवार है हमें
स्वयं विचार अवश्य करें
मन को केवल ईश्वरीय
क्षेत्र की ओर घुमाना ही
प्रेम का दूसरा नाम भक्ति है
आइएगा
मनसहित श्री हरिगुरू जी
से प्यार कैसे बढ़ाएं
प्यार बढ़ाने का अभ्यास
हमें बचपन से आता ही है
जय श्री कृपालु जी महाराज
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